Sheel Nigam at Vicharak Manch

पत्रकारिता का बदलता स्वरूप: आम आदमी

पत्रकारिता का आरम्भ मेरी नज़र में तब से हुआ जब मानव ने नगाड़े बजा-बजा कर अपने सन्देश भेजने शुरू किये। और तब से लेकर आज तक अनगिनत सोपानों को पार कर अपने परिष्कृत रूप में पत्रकारिता का हर माध्यम अपने-अपने नगाड़े बजा कर डंके की चोट पर अपने सन्देश दृश्य और श्रव्य रूप में प्रसारित कर रहा है। आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के युग में जहाँ पत्रकारिता का स्वरूप अपने आप में पूर्णता लिए हुए है वहीं पर उस पर कई आरोप भी लग रहे हैं, जिससे अंतत: आम आदमी ही प्रभावित होता दिखाई पड़ता है- फिर चाहे वह माध्यम दृश्य हो या श्रव्य।

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Dr. Sneha Thakore

श्रीरामचरितमानस

श्रीरामचरितमानस एक ऐसा ग्रन्थ है जिसकी उपादेयता किसी भी भूखंड या किसी भी कालखंड तक भी सीमित नहीं रह सकती. भारतीय परिपेक्ष्य में तो जन-जन इससे परिचित है पर वैश्र्विक स्तर पर भी इसकी उपादेयता किसी भी प्रकार कम नहीं है.

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Sita

बुनियाद

सीता के बारे मे सुना है सबों ने
सुना है सबों ने राम रावण की कथा
सत्य द्वापर त्रेता इन तीनों मे तो थी ही सीता
अब कलियुग के दहलीज़ पर खड़ी है सीता ,अकेली पर नई नवेली।
आज किया है वह इस दुनिया पे राज
हर जगह मिलती है उसकी कामयाबी की आवाज़
फिर भी है बेदर्द ज़माना हिलती रही
उसकी बुनियाद।

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