हिन्दी से प्यार और अन्य भाषाओं का सम्मान

मैं हिन्दी का समर्थन करती हूँ, यद्यपि कि भारत की अन्य भाषाओं का भी आदर करती हूँ और चाहती हूँ कि वे अपनी शब्दावली से हिन्दी को समृद्ध करें। हर प्रांतीय, सभी क्षेत्रीय भाषा स्वयं में महत्वपूर्ण हैं तथापि वे सम्पूर्ण अर्थों में क्षेत्रीय ही हैं। हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो कमोवेश या अधिकाधिक कुछ प्रयत्नों द्वारा सम्पूर्ण भारत में बोली और समझी जा सकती है। अत: क्षेत्रीय भाषाओं को अपना अस्तित्व बनाये रखते हुए अपनी शब्दावली से हिन्दी को समृद्ध करना है और उसी धरातल पर हिन्दी को भी बड़ी बहन की भाँति स्नेहपूर्वक व साथ ही धन्यवादी हो क्षेत्रीय शब्दावलियों को स्वयं में समाहित करना होगा।

क्षेत्रीय भाषाओं को पवित्र नदियों की तरह अपनी धरती को, शस्य-श्यामला प्रकृति को सींचते हुए, अपने साहित्य को समृद्ध करते हुए अपनी संस्कृति को न केवल बनाए रखते हुए, वरन उसे उच्चतम शिखर तक पहुँचाने में प्रयत्नरत रहते हुए , हिन्दी महासागर में मिल हिन्दी को भी समृद्ध करना है। क्षेत्रीय और हिन्दी भाषा में परस्पर प्यार की अनुभूति होनी चाहिये, ईर्ष्या व कलह की नहीं। वे एक-दूसरे की परस्पर पूरक हैं, प्रतिद्वंद्वी नही। भारत की अनेकता में एकता है। और यही तथ्य भारत को श्रेष्ठ बनाता है। हिन्दी में सामर्थ्य है कि वह स्नेहपूर्वक सभी क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दों को न केवल बिना किसी भेद-भाव के वरन प्रेमपूर्वक आवश्यकतानुसार स्वयं में समाहित कर, उनसे समृद्ध हो, भारत की राष्ट्र-भाषा के पद पर पदासीन हो।

हिन्दी ने ही अंग्रेजों की दासता से बाहर निकलने के लिये, भारतीयों को एकजुट होकर लड़ने के लिये प्लेटफॉर्म प्रदान किया था। स्वतंत्रता मिलते ही हिन्दी की उपयोगिता को समझ उसे राष्ट्र-भाषा का पद प्रदान कर देना चाहिये था। गर तब नहीं हुआ तो अब तो कर ही दें। प्रवास में यद्यपि कि हम, यह पूछने पर कि हमारी राष्ट्रभाषा क्या है? हम उनका सीधा उत्तर न दे घुमा-फिर कर बड़े गौरव से कह देते हैं कि अरे हमारी तो 24-26 राज्य भाषाएँ हैं। फिर प्रश्न आता है ठीक है पर राष्ट्र भाषा क्या है? प्रश्न यह नहीं है कि हम दूसरों को क्या कहें, तथापि देश की एकता के लिये, देश के हर नागरिक को देश के हर भाग से सम्पर्क बनाए रखने के लिए एक सार्वभौमिक भाषा की आवश्यकता है जो अभी तक के निष्कर्षों से हिन्दी ही दिखाई दे रही है। यही कारण है कि मैं हिन्दी की पक्षधर हूँ, हिन्दी की समर्थक हूँ। जय भारत, जय हिन्दी।

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Convenor, Vichark Manch; Online Community Builder, and Social Worker