May 27, 2021 बेटियों की माँ हालांकि मैं ये सारे तरह के “डे (मदर्स-डे)” में विश्वास नहीं करती पर जैसे कि आज पूरा सोशल मीडिया अपनी माँ को याद कर रहा है। भूले भटके मैंने भी… 1,151 total views
May 23, 2021 स्थानांतरगमन पूज्य दादाजी की छड़ी तो मिली टांड़ पर, साथ ही बड़े बड़े पुराने बक्से भरे सामान…. पापा का पुराना टेप रिकॉर्डर जो अभी भी गाता है, … मम्मी की कश्मीरी… 1,206 total views
January 26, 2021 हिन्दी से प्यार और अन्य भाषाओं का सम्मान मैं हिन्दी का समर्थन करती हूँ, यद्यपि कि भारत की अन्य भाषाओं का भी आदर करती हूँ और चाहती हूँ कि वे अपनी शब्दावली से हिन्दी को समृद्ध करें। हर प्रांतीय, सभी क्षेत्रीय भाषा स्वयं में महत्वपूर्ण हैं तथापि वे सम्पूर्ण अर्थों में क्षेत्रीय ही हैं। हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो कमोवेश या अधिकाधिक कुछ प्रयत्नों द्वारा सम्पूर्ण भारत में बोली और समझी जा सकती है। अत: क्षेत्रीय भाषाओं को अपना अस्तित्व बनाये रखते हुए अपनी शब्दावली से हिन्दी को समृद्ध करना है और उसी धरातल पर हिन्दी को भी बड़ी बहन की भाँति स्नेहपूर्वक व साथ ही धन्यवादी हो क्षेत्रीय शब्दावलियों को स्वयं में समाहित करना होगा। 1,257 total views
December 19, 2020 आपकी कूकी अभी कुछ ही दिन तो हुआ था, हमारे जन्म को जब हमारे साथ और तीन भाइयों ने जन्म लिया। मैं, मेरी मां और हम तीन भाइयों ने हमारे मालिक के… 1,534 total views, 1 views today
December 4, 2020 जन-जन को जगाता “सोशल मीडिया” राष्ट्रीय उपलब्धियों,समस्याओं और अन्य समाचारों का प्रसार व प्रचार करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में समाचार पत्रों व टीवी न्यूज चैनलों का वर्षो से विशेष योगदान बना हुआ है।… 1,342 total views
November 2, 2020 श्रीरामचरितमानस श्रीरामचरितमानस एक ऐसा ग्रन्थ है जिसकी उपादेयता किसी भी भूखंड या किसी भी कालखंड तक भी सीमित नहीं रह सकती. भारतीय परिपेक्ष्य में तो जन-जन इससे परिचित है पर वैश्र्विक स्तर पर भी इसकी उपादेयता किसी भी प्रकार कम नहीं है. 1,906 total views
October 27, 2020 श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षा श्रीमद्भगवद्गीता में वर्णित श्री कृष्ण का जो संदेश हम सब लोग जो इसे देखते-पढ़ते रहे हैं, वे हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी रहे हैं। आज के इस समय में,… 946 total views, 1 views today
October 22, 2020 भारतीय साहित्य और उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा भारत के सांस्कृतिक वैभव तथा भारतीय साहित्य की संपन्न परम्परा ने विदेशी विद्वानों को निरंतर आकृष्ट किया है ।भारत के स्वतन्त्र होने से पहले सामान्यतः विदेश में भारतीय साहित्य से तात्पर्य संस्कृत साहित्य से ही होता था। 2,536 total views
October 17, 2020 मेरा साहित्य युवा-वर्ग को क्या संदेश देता है? किसी भी तत्त्व को बिना सोचे-समझे, बिना उसकी तह में जाए, बिना उसका अध्ययन-परीक्षण किए, निर्मूल, बेकार घोषित करना अक्लमंदी नहीं, कल्याणकारी नहीं. पुरातन से आप न केवल वो शिक्षा कि क्या करना चाहिए वरन यह भी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं कि क्या नहीं करना चाहिए. 1,470 total views
October 7, 2020 जीवन में छोटे अवकाश का महत्व एक लकड़हारे युवक की कहानी है। लकड़हारा काफी मेहनती था। वह दिन में अवकाश के समय भी काम करता रहता और उन बुज़ुर्ग लोगों से उसे शिकायत रहती कि वे… 1,630 total views, 1 views today