Dr. Sneha Thakore

हिन्दी से प्यार और अन्य भाषाओं का सम्मान

मैं हिन्दी का समर्थन करती हूँ, यद्यपि कि भारत की अन्य भाषाओं का भी आदर करती हूँ और चाहती हूँ कि वे अपनी शब्दावली से हिन्दी को समृद्ध करें। हर प्रांतीय, सभी क्षेत्रीय भाषा स्वयं में महत्वपूर्ण हैं तथापि वे सम्पूर्ण अर्थों में क्षेत्रीय ही हैं। हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो कमोवेश या अधिकाधिक कुछ प्रयत्नों द्वारा सम्पूर्ण भारत में बोली और समझी जा सकती है। अत: क्षेत्रीय भाषाओं को अपना अस्तित्व बनाये रखते हुए अपनी शब्दावली से हिन्दी को समृद्ध करना है और उसी धरातल पर हिन्दी को भी बड़ी बहन की भाँति स्नेहपूर्वक व साथ ही धन्यवादी हो क्षेत्रीय शब्दावलियों को स्वयं में समाहित करना होगा।

Dr. Sneha Thakore

श्रीरामचरितमानस

श्रीरामचरितमानस एक ऐसा ग्रन्थ है जिसकी उपादेयता किसी भी भूखंड या किसी भी कालखंड तक भी सीमित नहीं रह सकती. भारतीय परिपेक्ष्य में तो जन-जन इससे परिचित है पर वैश्र्विक स्तर पर भी इसकी उपादेयता किसी भी प्रकार कम नहीं है.

Dr. Vimlesh Kanti Verma

भारतीय साहित्य और उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा

भारत के सांस्कृतिक वैभव तथा भारतीय साहित्य की संपन्न परम्परा ने विदेशी विद्वानों को निरंतर आकृष्ट किया है ।भारत के स्वतन्त्र होने से पहले सामान्यतः विदेश में भारतीय साहित्य से तात्पर्य संस्कृत साहित्य से ही होता था।

Dr. Sneh Thakore

मेरा साहित्य युवा-वर्ग को क्या संदेश देता है?

किसी भी तत्त्व को बिना सोचे-समझे, बिना उसकी तह में जाए, बिना उसका अध्ययन-परीक्षण किए, निर्मूल, बेकार घोषित करना अक्लमंदी नहीं, कल्याणकारी नहीं. पुरातन से आप न केवल वो शिक्षा कि क्या करना चाहिए वरन यह भी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं कि क्या नहीं करना चाहिए.